लोपामुद्रा (Lopamudra) पुस्तक के लेखक (Author of Book) : कन्हैयालाल माणिकलाल मुंशी (Kanaiyalal Maneklal Munshi) पुस्तक ...
लोपामुद्रा
(Lopamudra)
पुस्तक के लेखक (Author of Book) : कन्हैयालाल माणिकलाल मुंशी (Kanaiyalal Maneklal Munshi)
पुस्तक की भाषा (Language of Book) : हिंदी (Hindi)
पुस्तक का आकर (Size of Ebook) : 3.0 MB
कुल पन्ने (Total pages in ebook) : 118
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Book Details :
This is my fourth attempt to create a fictional novel related to the Rig Veda episodes and the great men of that era. Life of Rig Veda is new. It has a stir and tale of the spring of history. Myths seem dull in comparison to this history.
(यह ऋग वेद एपिसोड से संबंधित काल्पनिक उपन्यास बनाने के लिए मेरा चौथा प्रयास है और उस युग के महान पुरुष हैं। ऋग्वेद का जीवन नया है यह एक हलचल और इतिहास के वसंत की कहानी है। इस इतिहास की तुलना में मिथक सुस्त लगते हैं)
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वक्त बदल सकता है, तकदीर खिल जाती है... जब कोई हाथों की लकीरों को पसीने से धोया करता है. . .〽
हार या असफलता के भय को दिल में पालकर जीने से अच्छा हैं कि हम अपने लक्ष्य के लिए नित नए प्रयास अनवरत करते रहे . . . 〽
अपने लक्ष्य को इतना महान बना दो कि व्यर्थ के लिए समय ही न बचे . . . 〽
मुश्किलो मे भाग जाना आसान, हर पहलु जिदंगी का इम्तहान होता है. डरने वालो को कुछ मिलता नहीँ जिदंगी मे , लङने वालो के कदमोँ मे जहॉन होता है. . . 〽
सपने ओर लक्ष्य में एक ही अंतर हे.....सपने के लिए बिना मेहनत की नींद चाहिए, ओर लक्ष्य के लिए बिना नींद की मेहनत...〽
हार या असफलता के भय को दिल में पालकर जीने से अच्छा हैं कि हम अपने लक्ष्य के लिए नित नए प्रयास अनवरत करते रहे . . . 〽
नदी की धार के विपरीत जाकर देखिये, हिम्मत को हर मुश्किल में आज़मा कर देखिये, आँधियाँ खुद मोड़ लेंगी अपना रास्ता . . . 〽
ज़िन्दगी दर्द कभी नहीं देती, दर्द तो बुरे कर्म देते है. . . ☝जिन्दगी सिर्फ रंग मंच है, कैसे खेलना है ये हमपे निर्भर करता है. . . 〽