संस्कारविधि (Sanskarvidhi) पुस्तक के लेखक (Author of Book) : महर्षि दयानंद सरस्वती (Maharishi Dayanand Saraswati) पुस्तक...
संस्कारविधि
(Sanskarvidhi)
पुस्तक के लेखक (Author of Book) : महर्षि दयानंद सरस्वती (Maharishi Dayanand Saraswati)
पुस्तक की भाषा (Language of Book) : हिंदी (Hindi)
पुस्तक का आकर (Size of Ebook) : 01.0 MB
कुल पन्ने (Total pages in ebook) : 256
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Book Details :
In the progress of human life, there is a special significance of rites for the physical, mental and spiritual progress of man, various rituals have been arranged very beautifully from birth to death by the ancient sages and monks. Humans have the right to become biogenic.
(मानव जीवन की प्रगति में संस्कार का एक विशेष महत्व है मनुष्य के शारीरिक, मानसिक और आध्यात्मिक उन्नति के लिए, प्राचीन ऋषि और भिक्षुओं द्वारा जन्म से मृत्यु तक विभिन्न अनुष्ठानों को बहुत सुंदर तरीके से व्यवस्थित किया गया है। मनुष्यों को बायोजेनिक बनने का अधिकार है)
Best Thoughts :
अहंकार की आग तेज़ाब से ज्यादा खतरनाक होती है, एक बार जला दे तो निशान सीधा आत्मा पे जाके लगता है।
इतने छोटे बनिए की हर कोई आपके साथ बैठ सके.... और, इतने बड़े बनिए की जब आप खड़े हो तो कोई बैठा ना रहे
एक बेहतरीन इंसान अपनी जुबान से ही पहचाना जाता है, वरना अच्छी बातें तो दीवारों पर भी मिल जाती है।
मुश्किल हालात से कह दो हमसे ना उलझे!. . . ☝ हमने हर हाल मे जीने की कशम खायी हैँ॥
सोच बदलो -सितारेँ बदल जायेगे,. . . भाषा बदलो- भाव बदल जायेगे, . . . दिशा बदलो - दशा बदल जायेगी॥